Tu Kisi Aur Ki

TALAT AZIZ, ZAFAR KALEEM

तू किसी और की जागीर हैं ए जाने ग़ज़ल
तू किसी और की जागीर हैं ए जाने ग़ज़ल
लोग तूफान उठा देंगे मेरे साथ ना चल
तू किसी और की जागीर हैं ए जाने ग़ज़ल

पहले हक था तेरी
चाहत के चमन पर मेरा
पहले हक था तेरी
खुशबू ए बदन पर मेरा
अब मेरा प्यार तेरे
प्यार का हकदार नही
मे तेरे गेसुओ रुखसार का
हकदार नही
अब किसी और के शानो पे
हैं तेरा आँचल
तू किसी और की जागीर हैं
ए जाने ग़ज़ल
तू किसी और की जागीर हैं
ए जाने ग़ज़ल

मैं तेरे प्यार से
घर अपना बसाऊ कैसे
मैं तेरी माँग सितारों से
सजाऊ कैसे
मेरी किस्मत मे
नही प्यार के खुशबू शायद
मेरी हाथो की लकीरो मे
नही तू शायद
अपनी तकदीर बना
मेरा मुक़द्दर ना बदल
तू किसी और की जागीर हैं
ए जाने ग़ज़ल
तू किसी और की जागीर हैं
ए जाने ग़ज़ल

मुझसे कहती हैं
ये खामोश निगाहें तेरी
मेरी परवाज़ से उँची हैं पनाहे तेरी
और मैं गैरत ए एहसास पे शर्मिंदा हूँ
अब किसी और की बाहो मे है बाहे तेरी
अब कहा मेरा ठिकाना हैं
कहा तेरा महल
तू किसी और की जागीर हैं
ए जाने ग़ज़ल
लोग तूफान उठा देंगे
मेरे साथ ना चल
तू किसी और की जागीर हैं
ए जाने ग़ज़ल
तू किसी और की जागीर हैं
ए जाने ग़ज़ल

Curiosità sulla canzone Tu Kisi Aur Ki di Talat Aziz

Chi ha composto la canzone “Tu Kisi Aur Ki” di di Talat Aziz?
La canzone “Tu Kisi Aur Ki” di di Talat Aziz è stata composta da TALAT AZIZ, ZAFAR KALEEM.

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