Kahe Sataye

Manoj Muntashi

काहे सताए रे पिया, काहे सताए रे पिया
पीर ना जाने रे छलिया रे पीर ना जाने छलिया
पीर ना जाने रे छलिया रे पीर ना जाने छलिया

नैना है पान, भवें कमान
चित चोर लटें, जब मुख से हटें
छलके है रूप छल-छल-छल
इक टीस उठे है पल-पल
पग-पग पे राग जाये है जाग
झनकाये तू जो पायल

मधुमास भरा मोरा अंग-अंग
मोरे रोम-रोम से छलके रंग
झंकार उठे है कुछ ऐसे
जैसे ताल मिले सरगम के संग
आज लगन है एक ही मन में
मतवारी हो जाऊँ
कण-कण तुझको सौंप के साजन
मैं खाली हो जाऊँ

हो काहे सताए रे पिया, काहे सताए रे पिया
पीर ना जाने रे छलिया रे पीर ना जाने

बाहर भीतर हर अंतर
पल भर को ढह जाये
हो ऐसा मिलन तन राख बने
बस मन बाकी रह जाये
बूंद-बूंद पी जाऊँ सजनी
तेरे तन का रंग निराला
रच दूँ ऐसा चित्र मिलन का
जाग उठे जग रचने वाला

काहे सताए रे पिया, काहे सताए रे पिया
पीर ना जाने रे छलिया रे पीर ना जाने ना जाने छलिया

Curiosità sulla canzone Kahe Sataye di Roop Kumar Rathod

Chi ha composto la canzone “Kahe Sataye” di di Roop Kumar Rathod?
La canzone “Kahe Sataye” di di Roop Kumar Rathod è stata composta da Manoj Muntashi.

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