O Saiyyan
मेरी अधूरी कहानी लो दास्ताँ बन गयी
हो तूने छुआ आज ऐसे मैं क्या से क्या बन गयी
सहमे हुए सपने मेरे हौले हौले अंगड़ाईयाँ ले रहे
ठहरे हुए लम्हें मेरे नयी नयी गहराईयाँ ले रहे
ज़िन्दगी ने पहनी है मुस्कान
करने लगी है
इतना करम क्यूँ ना जाने
करवट लेने लगे हैं
अरमान फिर भी
है आँख नम क्यूँ ना जाने
ओ सैयां
आह आ आह आ आह आ आह आ आह आ
ओढूं तेरी काया सोलह श्रृंगार मैं सजा लूं
संगम की ये रैना इसमें त्यौहार मैं मना लूं
खुशबु तेरी छू के कस्तूरी हो जाऊं
कितनी फीकी थी मैं सिन्दूरी हो जाऊं
सुर से ज़रा बहकी हुई मेरी दुनिया थी बड़ी बेसुरी
सुर में तेरे ढलने लगी बनी रे पिया मैं बनी बांसुरी
ज़िन्दगी ने पहनी है मुस्कान
करने लगी है
इतना करम क्यूँ ना जाने
करवट लेने लगे हैं
अरमान फिर भी
है आँख नम क्यूँ ना जाने
ओ सैयां(ओ सैयां)
मेरे आसमां से जो हमेशा
गुमशुदा थे चाँद तारे
तूने गर्दिशों की लय बदल दी
लौट आये आज सारे
ओ सैयां