Aao Chalen
ओ ओ ओ ओ ओ……हो
आओ चले भ्रमण कर आयें
कैसी है सुधियों की नागरी
आओ चले भ्रमण कर आयें
कैसी है सुधियों की नागरी
मागफूस की तिठुरन कैसी
कितनी तपती जेठ दुपेहरी
कैसी चहल पहल बागों में
कैसी सुबह शाम है कैसी
आओ चले भ्रमण कर आयें
कैसी है सुधियों की नागरी
घर घर में पावस का उत्सव
द्वार द्वार पर गूँजे कजरी
पकती फसल धान की कहती
निकट दाशेहरा दीवाली है
अगहन में ठंडक की दस्तक
नयी दुल्हन आनेवाली है
आओ चले भ्रमण कर आयें
कैसी है सुधियों की नागरी
गन्नो के खेतों के झुर्मुट
कोल्हो पर ग़ूढ का सोधापन
शाम ढले घर घर वल्लाह
कितना सुंदर समरस जीवन
आपाधापी का खेल नही
जीवन नौका ठहरी ठहरी
आओ चले भ्रमण कर आयें
कैसी है सुधियों की नागरी
कैसे हैं सांसाती सांगी
कैसा ने प्रेम कैसा है
कितनी उष्मा संबंधों की
कैसे है सामाजिक बंधन
क्या दुल्हन एब्ब भी घूँघट में
क्या कोयल एब्ब भी गाती है
कितने स्वजन हुए बेगाने
फिर भी याद हमें आती है
चलो आज मिलकर फिर सोचे
कितनी रीति ने की गागरी
आओ चले भ्रमण कर आयें
कैसी है सुधियों की नागरी
मागफूस की तिठुरन कैसी
कितनी तपती जेठ दुपेहरी
कैसी चहल पहल बागों में
कैसी सुबह शाम है कैसी
आओ चले भ्रमण कर आयें
कैसी है सुधियों की नागरी
आओ चले आ आ आ आ