Sham [Sunset Edition]

JAVED AKHTAR, AMIT TRIVEDI

शाम भी कोई जैसे है नदी लहर लहर जैसे बह रही है
कोई अनकही कोई अनसुनी बात धीमे धीमे कह रही है
कहीं ना कहीं जागी हुई है कोई आरज़ू
कहीं ना कहीं खोये हुए से है मैं और तू
के बूम बूम बूम पारा पारा
है खामोश दोनों
जो गुमसुम गुमसुम है यह फिजायें
जो कहती सुनती है यह निगाहें
गुमसुम गुमसुम है यह फिजायें है ना

Curiosità sulla canzone Sham [Sunset Edition] di Nikhil D'souza

Chi ha composto la canzone “Sham [Sunset Edition]” di di Nikhil D'souza?
La canzone “Sham [Sunset Edition]” di di Nikhil D'souza è stata composta da JAVED AKHTAR, AMIT TRIVEDI.

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