Zara Ruk Ja Pyare

Majrooh Sultanpuri, S D Burman

ज़रा रुक जा प्यारे रुक जा
आस लगाये बैठे है राहों में कब से हम
आस लगाये बैठे है राहों में कब से हम
ओ ज़रा रुक जा प्यारे रुक जा

बुरा होता है राहों में मचलना अजी अच्छा है रुक रुक चलना
सुन प्यारे इतराये काहे ओ यारो से कतराए काहे
आस लगाये बैठे है राहों में कब से हम
ओ ज़रा रुक जा प्यारे रुक जा

आजा कब से पुकारे तुझे बंदा तेरे दम से चले है मेरा धंधा
आजा तेरी सर्विस करे ओ फिर किस्मत की थैली भर
आस लगाये बैठे है राहों में कब से हम
ओ ज़रा रुक जा प्यारे रुक जा

इन हाथों का जादू जो दिखा दू तुझे घर तक अभी मैं पहुंचा दू
बिगड़ी हो तो बना दे आ जा ओ रूकती हो तो चला दे आजा
आस लगाये बैठे है राहों में कब से हम
ओ ज़रा रुक जा प्यारे रुक जा
ओ ज़रा रुक जा ओ ज़रा रुक जा

Curiosità sulla canzone Zara Ruk Ja Pyare di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Zara Ruk Ja Pyare” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Zara Ruk Ja Pyare” di di Mohammed Rafi è stata composta da Majrooh Sultanpuri, S D Burman.

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