Us Mulk Ki Sarhad Ko

RAVI, SAHIR LUDHIANVI

उस मुल्क की सरहद को कोई छु नही सकता
जिस मुल्क की सरहद की निगेबन है आँखे

हर तरह के ज़ज्बात का एलान है आँखे
हर तरह के ज़ज्बात का एलान है आँखे
शबनम कभी शोला कभी तूफान है आँखे
शबनम कभी शोला कभी तूफान है आँखे

आँखो से बड़ी कोई तराजू नही होती
आँखो से बड़ी कोई तराजू नही होती
घुलता है बसर जिसमे वो मिजान है आँखे
घुलता है बसर जिसमे वो मिजान है आँखे

आँखे ही मिलती है जमाने मे दिलो को
आँखे ही मिलती है जमाने मे दिलो को
अंजान है हम तुम, अगर अंजान है आँखे
अंजान है हम तुम, अगर अंजान है आँखे

लब कुछ भी कहे उससे हक़ीकत नही खुलती
लब कुछ भी कहे उससे हक़ीकत नही खुलती
इंसान के सच झूठ की पहचान है आँखे
इंसान के सच झूठ की पहचान है आँखे

आँखे ना झुके तेरी किसी गैर के आगे
आँखे ना झुके तेरी किसी गैर के आगे
दुनिया मे बड़ी चीज़ मेरी जान है आँखे
दुनिया मे बड़ी चीज़ मेरी जान है आँखे

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ

उस मुल्क की सरहद को कोई छु नही सकता
उस मुल्क की सरहद को कोई छु नही सकता
जिस मुल्क की सरहद की निगेबन है आँखे
जिस मुल्क की सरहद की निगेबन है आँखे

Curiosità sulla canzone Us Mulk Ki Sarhad Ko di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Us Mulk Ki Sarhad Ko” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Us Mulk Ki Sarhad Ko” di di Mohammed Rafi è stata composta da RAVI, SAHIR LUDHIANVI.

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