Teri Pyari Pyari Soorat Ko

Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan

तेरी प्यारी प्यारी सूरत
को किसकी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर
तेरी प्यारी प्यारी सूरत
को किसकी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर
मुखड़े को छुपा लो
आँचल में कहीं
मेरी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर
मुखड़े को छुपा लो
आँचल में कहीं
मेरी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

यूँ न अकेले फिरा करो
सबकी नज़र से डरा करो
यूँ न अकेले फिरा करो
सबकी नज़र से डरा करो
फूल से ज़्यादा नाज़ुक हो
तुम चाल संभलकर चला करो
ज़ुल्फ़ों को गिरा लो गालों पर
मौसम की नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर
तेरी प्यारी प्यारी सूरत
को किसकी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

एक झलक जो पाता है राही
वही रुक जाता है
एक झलक जो पाता है राही
वही रुक जाता है
देख के तेरा रूप सलोना
चाँद भी सर को झुकाता है
देखा ना करो तुम आइना
कहीं खुद की नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर
तेरी प्यारी प्यारी सूरत को
किसीकी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

दिल मैं चुभे वो तीर हो तुम
चाहत की तक़दीर हो तुम
दिल मैं चुभे वो तीर हो तुम
चाहत की तक़दीर हो तुम
कौन न होगा तुमपे दीवाना
प्यार भरी तस्वीर हो तुम
निकला न करो तुम राहो पे
जर्रो की नजर न लगे
चश्मे बद्दूर
तेरी प्यारी प्यारी सूरत को
किसीकी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर
मुखड़े को छुपा लो
आँचल में कहीं
मेरी नज़र न लगे
चश्मे बद्दूर

Curiosità sulla canzone Teri Pyari Pyari Soorat Ko di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Teri Pyari Pyari Soorat Ko” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Teri Pyari Pyari Soorat Ko” di di Mohammed Rafi è stata composta da Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan.

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