Sun Le Zara Insaan

Bharat Vyas

सुन सुन रे ज़रा इंसान
हो सुन सुन रे ज़रा इंसान
किस पर करता है तू अभिमान
के एक दिन आएगा वो तूफ़ान
के जब मिल जायेगी माटी शान
हो सुन सुन रे ज़रा इंसान

बाते बनाता क्यों बढ़ बढ़ के
चलता क्यों अकड़ अकड़ के
चलता क्यों अकड़ अकड़ के
कोन बचाने आएगा
जब ले जायेगा काल पकड़ के
ले जायेगा काल पकड़ के
अरे कितना भी बढ़ ले
कितना भी बढ़ ले
कितना भी चढ़ ले
मंजिल है तेरी मैदान
हो सुन सुन रे ज़रा इंसान

निचे है धरती ऊपर है आसमान
चलती है दुनिया का चाकी
चलती है दुनिया का चाकी
इसके बड़े दो पाटो के बीच में
कोई बचा न बाकि
कोई बचा न बाकि
अरे तू तो क्या चीज़ है
तू तो क्या चीज़
यहाँ रावण से राजा का बाकि रहा न निशां
ओ सुन सुन रे ज़रा इंसान

बड़े बड़े पापी आये थे जिनसे सारा जगत ठर्राया
सारा जगत ठर्राया
एक दिन ऐसे गिरे मुँह के बल
चार कंधो ने उनको उठाया
चार कंधो ने उनको उठाया
अरे औरो की कुटिया
औरो की कुटिया जलाएगा तो
जल जायेगा तेरा मकान
हो सुन सुन रे ज़रा इंसान
किस पर करता है तू अभिमान
के एक दिन आएगा वो तूफ़ान
के जब मिल जायेगी माटी शान
सुन सुन रे ज़रा इंसान

Curiosità sulla canzone Sun Le Zara Insaan di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Sun Le Zara Insaan” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Sun Le Zara Insaan” di di Mohammed Rafi è stata composta da Bharat Vyas.

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