Paisa Hi Rang Roop Hai

Lalchand Bismil

औ हो औ औ औ औ
पैसा ही रंग रूप है पैसा ही माल है
पैसा न हो तो आदमी चरखे की माल है
पैसे ही का आमिर के दिल में ख्याल है
पैसे ही का फ़क़ीर भी करता सवाल है
पैसा ही फ़ौज पैसा ही जहॉ जलाल है
पैसे ही का तमाम ये दन्गो दवाल है

औ औ औ औ औ औ औ
पैसा ही जग बताता है इंसान की जात को
बिन पैसे सगा भाई भी पूछे न बात को
पैसा ही जेब देता है ब्याह और बारात को
पैसा हो पास दूल्हा बने आधी रात को

देखो कबर उठाते है पैसे के वास्ते
तीरो सना लगते है पैसे के वास्ते
मैदान में जखम कहते है पैसे के वास्ते
या तख्ते सर कटा टे है पैसे के वास्ते

औ औ औ औ औ औ औ
पैसा ही बड़ी चीज़ है ये खूब कहा है
बिस्मिल मगर नज़ीर ने ये भी तो लिखा है
पैसे से जो उल्फत तुझे हो जायेगी बाबा
दुःख इसमें तेरी रूह बहुत पायेगी बाबा

औ औ औ औ औ औ औ
दौलत जो तेरी यही न काम आएगी बाबा
फिर क्या तुझे अल्लाह से मिलवाएगी बाबा
बेदार ख़बरदार हो इस बात से मत भूल
ये कबर में तो साथ नहीं जायेगी बाबा
बुखो को गरीबों को यतीमो को खिला जा
वरना ये तुझे बोझ तड़पायेगी बाबा
पैसे के पेट में कभी आना नहीं बाबा
इंसानियत पे दाग लगना नहीं बाबा
इंसानियत पे दाग लगना नहीं बाबा
इंसानियत पे दाग लगना नहीं बाबा
इंसानियत पे दाग लगना नहीं बाबा

Curiosità sulla canzone Paisa Hi Rang Roop Hai di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Paisa Hi Rang Roop Hai” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Paisa Hi Rang Roop Hai” di di Mohammed Rafi è stata composta da Lalchand Bismil.

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