Na Aadmi Ka Koi Bharosa

Naushad, Shakeel Baduyani, BADAYUNI SHAKEEL, SHAKEEL BADAYUNI

तेरी मोहब्बत पे शक नहीं है
तेरी वफाओं को मनाता हु
मगर तुझे किसकी आरज़ू है
मैं यह हकीकत भी जानता हूँ

न आदमी का कोई भरोसा
ना दोस्ती का कोई ठिकाना
वफ़ा का बदला हैं बेवफाई
अजब ज़माना हैं यह ज़माना
न आदमी का कोई भरोसा

ना हुस्न में अब्ब वह दिलकशी है
ना इश्क में अब्ब वह जिंदगी है
जिधर निगाहें उठके देखो
सितम हैं धोखा हैं बेरुखी है
बदल गए ज़िन्दगी के नगमे
बिखर गया प्यार का तराना
बदल गए ज़िन्दगी के नगमे
बिखर गया प्यार का तराना
न आदमी का कोई भरोसा

दवा के बदले में ज़हर दे दो
उतार दो मेरे दिल में खंजर
लहू से सींचा था जिस चमन को
उगे हैं शोले उसी के अंदर
मेरे ही घर के चिराग ने खुद
जला दिया मेरा आशियाना
मेरे ही घर के चिराग ने खुद
जला दिया मेरा आशियाना
न आदमी का कोई भरोसा
ना दोस्ती का कोई ठिकाना
वफ़ा का बदला हैं बेवफाई
अजब ज़माना हैं यह ज़माना

Curiosità sulla canzone Na Aadmi Ka Koi Bharosa di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Na Aadmi Ka Koi Bharosa” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Na Aadmi Ka Koi Bharosa” di di Mohammed Rafi è stata composta da Naushad, Shakeel Baduyani, BADAYUNI SHAKEEL, SHAKEEL BADAYUNI.

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