Mohabbat Zinda Rahti Hai

HANSRAJ BEHL, QAMAR JALALABADI

खोल आँखें अपने ख्वाब-ए-नाज़ से
जाग मेरे प्यार की आवाज़ से
ज़िंदगी बेताब है तेरे लिए
आ गले लग जा उसी अंदाज़ से

मोहब्बत ज़िंदा रहती है
मोहब्बत मर नहीं सकती
अजी इंसान क्या ये तो
खुदा से डर नहीं सकती
मोहब्बत ज़िंदा रहती है
मोहब्बत मर नहीं सकती

ये कहदो मौत से जाकर के
एक दीवाना कहता है
ये कहदो
के एक दीवाना कहता है
कोई दीवाना कहता है
मेरी रूह-ए-मोहब्बत मुझसे
पहले मर नहीं सकती
मोहब्बत ज़िंदा रहती है
मोहब्बत मर नहीं सकती

चली आ ओ मेरी जान-ए-तमन्ना
दिल की महफ़िल में
चली आ चली आ चली आ
चली आ दिल की महफ़िल में
मेरी जान दिल की महफ़िल में
तू मुझसे दूर हो उल्फ़त
गवारा कर नहीं सकती
मोहब्बत ज़िंदा रहती है
मोहब्बत मर नहीं सकती
अजी इंसान क्या ये तो
खुदा से डर नहीं सकती
चली आ चली आ चली आ
चली आ चली आ चली आ

Curiosità sulla canzone Mohabbat Zinda Rahti Hai di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Mohabbat Zinda Rahti Hai” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Mohabbat Zinda Rahti Hai” di di Mohammed Rafi è stata composta da HANSRAJ BEHL, QAMAR JALALABADI.

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