Mai Nahi Manunga Mati Ke Putle Ko Bhagwan,

Sahir Ludhianvi

लाख बार धिक्कार है तुझ पर
ओ निर्लाज इंसान
झुक गया अत्याचार के आयेज
तेरा धर्म ईमान
मैं नहीं मानूँगा आ
मैं नहीं मानूँगा
माटी के पुतले को भगवान आन
तुम चाहो तो कायर बन कर
सह लो ये अपमान आन
मैं नहीं मानूँगा

जिनको बाल का मान है उनसे
केहडो ये जाकर आर
जिनको बाल का मान है उनसे
केहडो ये जाकर आर
काट सकता है
झुक नहीं सकता
बाघी कवि का सर
मैं करता हूँ
आज भरे बेज़ार में ये ऐलान आन
मैं नहीं मानूँगा
माटी के पुतले को भगवान आन
तुम चाहो तो कायर बन कर
सह लो ये अपमान आन
मैं नहीं मानूँगा

मेरा भगवान वो है
जिसकी रचना है संसार आर
मेरा भगवान वो है
जिसकी रचना है संसार
मेरा भगवान वो है
जो है सबका पालनहार
उस भगवान के बदले कैसे
ले लून ये शैतान आन
मैं नहीं मानूँगा
माटी के पुतले को भगवान आन
तुम चाहो तो कायर बन कर
सह लो ये अपमान आन
मैं नहीं मानूँगा

कितने कान्स और कितने रावण
इस धरती पर आए आए आए
कितने कान्स और कितने रावण
इस धरती पर आए आए
किसी दुष्ट के आयेज
प्रभु के भक्त ना झुकने पाए
धर्म रहा है
धर्म रहेगा
पृथ्वी पर बलवान आन
मैं नहीं मानूँगा
माटी के पुतले को भगवान
तुम चाहो तो कायर बन कर
सह लो ये अपमान आन
मैं नहीं मानूँगा आ आ
मैं नहीं मानूँगा

Curiosità sulla canzone Mai Nahi Manunga Mati Ke Putle Ko Bhagwan, di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Mai Nahi Manunga Mati Ke Putle Ko Bhagwan,” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Mai Nahi Manunga Mati Ke Putle Ko Bhagwan,” di di Mohammed Rafi è stata composta da Sahir Ludhianvi.

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