Lagi Mast Nazar Ki Katar

Hasrat Jaipuri, Ramlal

लगी मस्त नज़र की कटार हा हा हा हा
मस्त नज़र की कटार दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्म ए जिगर है बहार
मस्त नज़र की कटार
मस्त नज़र की कटार
दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्म ए जिगर है बहार
हो मस्त नज़र की कटार

चेहरा आहा चेहरा चमकीला सूरज हो जैसे प्यार का
बाहें लहराती नक़्शा है इक तलवार का
हम तो लुट गये हम तो लुट गये
खुशी से हम तो लुट गये
खामोश नज़ारों में हो खामोश नज़ारों में
प्यासी अदा जिस पे फ़िदा हम तो हुए सौ बार
हो मस्त नज़र की कटार
मस्त नज़र की कटार दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्म ए जिगर है बहार
हो मस्त नज़र की कटार

आँखें हाय हाय आँखें मतवाली उल्फ़त के जैसे रास्ते
पलकें अलबेली छाया है मेरे वास्ते
घूमे ज़िंदगी घूमे ज़िंदगी
नशे में झूमें ज़िंदगी
दिलबर के खयालों में हाय दिलबर के खयालों में
हम तो मगन गाते चले
प्यार के नग़मे हज़ार
मस्त नज़र की कटार
मस्त नज़र की कटार
अरे दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्म ए जिगर है बहार
मस्त नज़र की कटार

खुशबू खुशबू ज़ुल्फ़ों की आती है सर्द हवाओं से
खोया चाहत में अब गुज़रूँ हूँ जिस गाँव से
यादें घेर लें यादें घेर लें
हमको यादें घेर लें
जंगल की फ़िज़ाओं में हो जंगल की फ़िज़ाओं में
वो जो नहीं फीका लगे
रंग भरा संसार
मस्त नज़र की कटार
मस्त नज़र की कटार
दिल के उतर गयी पार हाय हाय हाय
प्यार की राहों में हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्म ए जिगर है बहार
हो मस्त नज़र की कटार
दिल के उतर गयी पार
प्यार की राहों में हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्म ए जिगर है बहार
हो मस्त नज़र की कटार हा हा हा हो

Curiosità sulla canzone Lagi Mast Nazar Ki Katar di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Lagi Mast Nazar Ki Katar” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Lagi Mast Nazar Ki Katar” di di Mohammed Rafi è stata composta da Hasrat Jaipuri, Ramlal.

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