Khati Hoon Kasam [With Dialogue]

David Allan Coe

वो मेरा खत मिला था आपको
जी हाँ ऊपर मेरा नाम लिखा था
नीचे आपका बीच का कागज बस कोरा था
जी वो दरअसल बात ये हे के दिल की बात कागज पर न ला स्का
कोनसी बात
इतनी बड़ी बात की के इंसान लाखों किताबें लिख डाले
तो भी न कह सके
और इतनी छोटी बात
जिससे एक आंसू एक सिसकी एक मुस्कुराहट कह दे
रेखा बात व्ही हे
जो इस धरती के पहले आदमी ने पहली और को कही थी
मुझे तुमसे प्यार हे

तुम मेरी हो, मेरे साइवा किसी की नही
खाती हो कसम, खाती हू कसम
तुम मेरी हो, मेरे साइवा किसी की नही
खाती हो कसम, खाती हू कसम
मैं तेरी हू, तेरे साइवा किसी की नही
खाती हू कसम, खाती हू कसम

इलतजा प्यार की इतनी है अगर मानो तो
इलतजा प्यार की इतनी है अगर मानो तो
वास्ता मेरा तुम्हे दिल से लगालो मुझको

मदभरा आज का मौसम भी यही कहता है
एब्ब तो इन्न रेशमी ज़ुल्फोन में च्छूपा लो मुझको
तुम मेरी हो, मेरे साइवा किसी की नही

खाती हो कसम, खाती हू कसम
मैं तेरी हू, तेरे साइवा किसी की नही
खाती हू कसम, खाती हू कसम

एब्ब जुड़ा कोई तुम्हे मुझसे ना कर पाएगा
एब्ब जुड़ा कोई तुम्हे मुझसे ना कर पाएगा
ऐसा बाँधा है तुम्हे प्यार की इन्न बाहों से
प्यार की राह में मिट जायुंगा चाहत की कसम
पुच्छ लेना यह किसी रोज इन्ही राहों से
तुम मेरी हो, मेरे साइवा किसी की नही
खाती हो कसम, खाती हू कसम

मैं तेरी हू, तेरे साइवा किसी की नही
खाती हू कसम, खाती हू कसम

मेरे वादे है यह पानी की लकीरें तों नही
मेरे वादे है यह पानी की लकीरें तों नही
गैर मुमकिन है मेरे दिल का फसाना बदले
शाम के डूबते सूरज की गवाही ले लो
मैं ना बदलूंगी चाहे जमाना बदले

तुम मेरी हो, मेरे साइवा किसी की नही
खाती हो कसम, खाती हू कसम
मैं तेरी हू, तेरे साइवा किसी की नही
खाती हू कसम, खाती हू कसम
तुम मेरी हो, मेरे साइवा किसी की नही
खाती हो कसम, खाती हू कसम

Curiosità sulla canzone Khati Hoon Kasam [With Dialogue] di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Khati Hoon Kasam [With Dialogue]” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Khati Hoon Kasam [With Dialogue]” di di Mohammed Rafi è stata composta da David Allan Coe.

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