Kabira Roye Ya Muskuraye [With Dialogue]
कबीर खड़ा बाज़ार में
सब की माँगे खैर
ना तो किसी से दोस्ती
ना तो किसी से बैर
एक जगह फूल खिले और
खिलते ही मुझाए
एक जगह फूल खिले और
खिलते ही मुझाए
इस दो रंगी दुनिया का राज
साँझ ना आए
कबीरा रोए या मुस्काये
कबीरा रोए या मुस्काये
अरे हो हो हो
एक धन वाले बाज़ीगर ने
महल को बनवाया
जिस निर्धन कारीगर ने
अपना खून पिलाया
मेहनत के बदले मे उसने
हाथ अपने कटवाए
कबीरा रोए या मुस्काये
कबीरा रोए या मुस्काये
अरे हो हो हो
चिर के इस धरती का सीना
बीज किसी ने बोया
ना दिन को आराम किया ना
रात को पलभर सोया
खेत पके तो उसके दाने
और कोई खा जाए
कबीरा रोए या मुस्काये
कबीरा रोए या मुस्काये
अरे हो हो हो
बड़ी पुरानी हो गयी दुनिया
आओ इसे जला दे
जल जाए तो रख से इस की
दुनिया नयी बसा दे
सब का साथी इस दुनिया का
हर बंदा कहलाए
कबीरा देख देख मुस्काये
कबीरा देख देख मुस्काये
कबीरा देख देख मुस्काये