Jitni Likhi Thi

Ravi, Rajinder Krishnan

जितनी लिखी थी मुक़द्दर में
हम उतनी पी चुके
जितनी लिखी थी मुक़द्दर में
हम उतनी पी चुके
अब तो दिन मरने के है
जितना जीना था जी चुके
जितनी लिखी थी मुक़द्दर में
हम उतनी पी चुके

ये ज़माने अब न आना
हमको समझाने कभी
ये ज़माने अब न आना
हमको समझाने कभी
अपनी कह ली सबकी सुन ली
होठ अब तो सी चुके
अपनी कह ली सबकी सुन ली
होठ अब तो सी चुके
अब तो दिन मरने के है
जितना जीना था जी चुके
जितनी लिखी थी मुक़द्दर में
हम उतनी पी चुके

अब हमारी खुश्क आँखों में
न कुछ ढूंढे कोई
अब हमारी खुश्क आँखों में
न कुछ ढूंढे कोई
अश्क जितने इन में थे
हम पी चुके हम पी चुके
अश्क जितने इन में थे
हम पी चुके हम पी चुके
अब तो दिन मरने के है
जितना जीना था जी चुके
जितनी लिखी थी मुक़द्दर में
हम उतनी पी चुके

ज़िन्दगी और मौत दोनों
एक है अपने लिए
ज़िन्दगी और मौत दोनों
एक है अपने लिए
अब किसी को क्या बताये
मर चुके या जी चुके
अब किसी को क्या बताये
मर चुके या जी चुके
अब तो दिन मरने के है
जितना जीना था जी चुके
जितनी लिखी थी मुक़द्दर में
हम उतनी पी चुके

घर से बेघर हो गए
अब घर की याद आये तो क्यों
घर से बेघर हो गए
अब घर की याद आये तो क्यों
ज़िन्दगी पीछा न कर
हम जी चुके हम जी चुके
ज़िन्दगी पीछा न कर
हम जी चुके हम जी चुके
जी चुके जी चुके जी चुके जी चुके.

Curiosità sulla canzone Jitni Likhi Thi di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Jitni Likhi Thi” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Jitni Likhi Thi” di di Mohammed Rafi è stata composta da Ravi, Rajinder Krishnan.

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