Ishq Ki Garmiye Jazbaat

Madan Mohan, Sahir Ludhianvi

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ
ये सुलग़ते हुए दिन-रात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए

तेरी आवाज़ के जादू ने जगाया है जिन्हें
तेरी आवाज़ के जादू ने जगाया है जिन्हें
वो तस्सव्वुर, वो ख़यालात किसे पेश करूँ
वो तस्सव्वुर, वो ख़यालात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए

ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल, ऐ मेरी ईमान-ए-ग़ज़ल
ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल, ऐ मेरी ईमान-ए-ग़ज़ल
अब सिवा तेरे ये नग़मात किसे पेश करूँ
अब सिवा तेरे ये नग़मात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए

कोई हमराज़ तो पाऊँ कोई हमदम तो मिले
कोई हमराज़ तो पाऊँ कोई हमदम तो मिले
दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए

Curiosità sulla canzone Ishq Ki Garmiye Jazbaat di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Ishq Ki Garmiye Jazbaat” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Ishq Ki Garmiye Jazbaat” di di Mohammed Rafi è stata composta da Madan Mohan, Sahir Ludhianvi.

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