Guzre Hain Aaj Ishq Mein Ham

Naushad, Shakeel Badayuni

गुज़रे हैं आज इश्क़ में हम उस मक़ाम से
गुज़रे हैं आज इश्क़ में हम उस मक़ाम से
नफ़रत सी हो गई है महोब्बत के नाम से
गुज़रे हैं

हमको न ये गुमान था ओ संगदिल सनम
राह ए वफ़ा से तेरे बहक जाएंगे क़दम
छलकेगा ज़हर भी तेरी आँखों के जाम से
गुज़रे हैं आज इश्क़ में हम उस मक़ाम से
गुज़रे हैं

ओ बेवफ़ा तेरा भी यूँ ही टूट जाए दिल
तू भी तड़प-तड़प के पुकारे हाय दिल
तेरा भी सामना हो कभी ग़म की शाम से
गुज़रे हैं

हम वो नहीं जो प्यार में रोकर गुज़ार दें
परछाईं भी हो तेरी तो ठोकर से मार दें
वाक़िफ़ हैं हम भी ख़ूब हर एक इंतक़ाम से
गुज़रे हैं आज इश्क़ में हम उस मक़ाम से
नफ़रत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से
गुज़रे हैं आज इश्क़ में

Curiosità sulla canzone Guzre Hain Aaj Ishq Mein Ham di Mohammed Rafi

Chi ha composto la canzone “Guzre Hain Aaj Ishq Mein Ham” di di Mohammed Rafi?
La canzone “Guzre Hain Aaj Ishq Mein Ham” di di Mohammed Rafi è stata composta da Naushad, Shakeel Badayuni.

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