Chaudhvin Kaa Chand Ho [Lofi]
Shakeel Badayuani
चेहरा है जैसे झील मे खिलता हुआ कंवल
या ज़िंदगी के साज पे छेड़ी हुई गज़ल
जाने बहार तुम किसी शायर का ख़्वाब हो
चौदहवीं का चाँद हो, या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम खुदा कि क़सम, लाजवाब हो
चौदहवीं का चाँद हो
ज़ुल्फ़ें हैं जैसे काँधे पे बादल झुके हुए
आँखें हैं जैसे मय के पयाले भरे हुए
मस्ती है जिसमे प्यार की तुम, वो शराब हो
चौदहवीं का चाँद हो, या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम खुदा कि क़सम, लाजवाब हो
चौदहवीं का चाँद हो