Aae Mohabbat Zindabad [Part - Ii]
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
दौलत की ज़ाजीरो से तू
दौलत की ज़ाजीरो से तू
रहती है आज़ाद
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
मंदिर मे मस्जिद मे
तू और तू ही है ईमानो मे
मुरली की तानो मे तू और
तू ही है आज़ानो मे
तेरे दम से दिन-धरम की
दुनिया है आबाद
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
प्यार की आँधी रुक ना सकेगी
नफ़रत की दीवारो से
खून-ए-मोहब्बत हो
ना सकेगा खज़ार से तलवरो से
मार जाते है आशिक़
ज़िंदा रह जाती है याद
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
आ आ आ
इश्क़ बग़ावत कर बैठे तो
दुनिया का रुख़ मोड़ दे
आग लगा दे महलो मे
और तख्त-ए-शाही छ्चोड़ दे
सीना ताने मौत से खेले
कुच्छ ना करे फरियाद
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
ताज हुकूमत जिसका मज़हब
फिर उसका ईमान कहाँ
ताज हुकूमत जिसका मज़हब
फिर उसका ईमान कहाँ
जिसके दिल मे प्यार ना हो
वो पत्थर है इनसान कहाँ
जिसके दिल मे प्यार ना हो
वो पत्थर है इनसान कहाँ
प्यार के दुश्मन होश मे
आ हो जाएगा बरबाद
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
आई मोहब्बत ज़िंदाबाद
ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद
ज़िंदाबाद
ज़िंदाबाद