Zindagi Kya Hai

GULZAR, JAGJIT SINGH

आदमी बुलबुला हैं पानी का

और पानी की बहती सतह पर
टूट ता भी हैं डूबता भी हैं
फिर उभरता हैं फिर से बहता हैं

ना समंदर निगल सका इसको
ना तवारीख तोड़ पाई हैं

वक़्त की मौज पर सदा बहता
आदमी बुलबुला हैं पानी का

ज़िंदगी क्या है जानने के लिये
ज़िंदा रहना बहुत जरुरी है

आज तक कोई भी रहा तो नही

सारी वादी उदास बैठी है
मौसम-ए-गुल ने ख़ुदकशी कर ली

किसने बारूद बोया बागों में

आओ हम सब पहन लें आईने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा

सबको सारे हसीं लगेंगे यहाँ

है नही जो दिखाई देता है
आईने पर छपा हुआ चेहरा

तर्जुमा आईने का ठीक नही

हम को ग़ालिब ने ये दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फ़क़त दिनों में गया

लब तेरे मीर ने भी देखे है
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है

बात सुनते तो ग़ालिब हो जाते

ऐसे बिखरे हैं रात दिन जैसे
मोतियों वाला हार टूट गया

तुमने मुझको पिरो के रखा था
तुमने मुझको पिरो के रखा था

ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म

Curiosità sulla canzone Zindagi Kya Hai di Jagjit Singh

In quali album è stata rilasciata la canzone “Zindagi Kya Hai” di Jagjit Singh?
Jagjit Singh ha rilasciato la canzone negli album “Koi Baat Chale” nel 2006, “Alfaaz” nel 2008, “Jazbaat” nel 2008, e “Jagjit Singh : Forever Remembered” nel 2013.
Chi ha composto la canzone “Zindagi Kya Hai” di di Jagjit Singh?
La canzone “Zindagi Kya Hai” di di Jagjit Singh è stata composta da GULZAR, JAGJIT SINGH.

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