Teri Soorat Jo Bhari Rehti Hai

GULZAR, JAGJIT SINGH

तेरी सूरत जो भरी रहती है आँखों में सदा
अजनबी लोग भी पहचाने से लगते हैं मुझे
तेरे रिश्तों में तो दुनिया ही पिरो ली मैने

एक से घर हैं सभी एक से हैं बाशिन्दे
अजनबी शहर में कुछ अजनबी लगता ही नहीं
एक से दर्द हैं सब एक से ही रिश्ते हैं

उम्र के खेल में इक तरफ़ा है ये रस्साकशी
इक सिरा मुझको दिया होता तो कुछ बात भी थी
मुझसे तगड़ा भी है और सामने आता भी नहीं

सामने आये मेरे, देखा मुझे, बात भी की
मुस्कुराये भी पुराने किसी रिश्ते के लिये
कल का अख़बार था बस देख लिया रख भी दिया

वो मेरे साथ ही था दूर तक मगर इक दिन
मुड़ के जो देखा तो वो और मेरे साथ न था
जेब फट जाये तो कुछ सिक्के भी खो जाते हैं

चौदहवें चाँद को फ़िर आग लगी है देखो
फिर बहुत देर तलक आज उजाला होगा
राख़ हो जायेगा जब फिर से अमावस होगी

Curiosità sulla canzone Teri Soorat Jo Bhari Rehti Hai di Jagjit Singh

In quali album è stata rilasciata la canzone “Teri Soorat Jo Bhari Rehti Hai” di Jagjit Singh?
Jagjit Singh ha rilasciato la canzone negli album “Koi Baat Chale” nel 2006, “Jazbaat” nel 2008, e “Jagjit Singh : Forever Remembered” nel 2013.
Chi ha composto la canzone “Teri Soorat Jo Bhari Rehti Hai” di di Jagjit Singh?
La canzone “Teri Soorat Jo Bhari Rehti Hai” di di Jagjit Singh è stata composta da GULZAR, JAGJIT SINGH.

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