Shaam Hone Ko Hai

JAGJIT SINGH, JAVED AKHTAR

शाम होने को है

शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है
शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है
और उसके परे कुछ परिंदे कतारें बनाए
उन्हीं जंगलों को चले जिनके पेड़ों की शाखों पे हैं घोंसले
ये परिंदे वहीं लौटकर जाएँगे
ये परिंदे वहीं लौटकर जाएँगे और सो जाएँगे
और सो जाएँगे, और सो जाएँगे
शाम होने को है
शाम होने को है

शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है
हम ही हैरान हैं इस मकानों के जंगल में
अपना कोई भी ठिकाना नहीं
शाम होने को है हम कहाँ जायेंगे
शाम होने को है
शाम होने को है

शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है
शाम होने को है
शाम होने को है
शाम होने को है
हम कहा जाएंगे
हम कहा जाएंगे
हम कहा जाएंगे

Curiosità sulla canzone Shaam Hone Ko Hai di Jagjit Singh

Quando è stata rilasciata la canzone “Shaam Hone Ko Hai” di Jagjit Singh?
La canzone Shaam Hone Ko Hai è stata rilasciata nel 2004, nell’album “Shaam Hone Ko Hai”.
Chi ha composto la canzone “Shaam Hone Ko Hai” di di Jagjit Singh?
La canzone “Shaam Hone Ko Hai” di di Jagjit Singh è stata composta da JAGJIT SINGH, JAVED AKHTAR.

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