Na Ho Ghar Ashna Hota

Seemab Akbarabadi

ना हो ग़र आशना नहीं होता
ना हो ग़र आशना नहीं होता
बुत किसी का ख़ुदा नहीं होता
ना हो ग़र आशना नहीं होता

तुम भी उस वक़्त याद आते हो
तुम भी उस वक़्त याद आते हो
जब कोई आसरा नहीं होता
जब कोई आसरा नहीं होता
ना हो ग़र आशना नहीं होता

दिल में कितना सुक़ून होता है
दिल में कितना सुक़ून होता है
जब कोई मुद्दआ नहीं होता
जब कोई मुद्दआ नहीं होता
ना हो ग़र आशना नहीं होता

हो न जब तक शिकार-ए-नाकामी
हो न जब तक शिकार-ए-नाकामी
आदमी काम का नहीं होता
आदमी काम का नहीं होता
ना हो ग़र आशना नहीं होता

ज़िन्दगी थी शबाब तक सीमाब
ज़िन्दगी थी शबाब तक सीमाब
अब कोई सानेहा नहीं होता
अब कोई सानेहा नहीं होता
ना हो ग़र आशना नहीं होता

Curiosità sulla canzone Na Ho Ghar Ashna Hota di Jagjit Singh

Chi ha composto la canzone “Na Ho Ghar Ashna Hota” di di Jagjit Singh?
La canzone “Na Ho Ghar Ashna Hota” di di Jagjit Singh è stata composta da Seemab Akbarabadi.

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