Koi Samjhega Kya Raz - E - Gulshan

FANA NIZAMI, JAGJIT SINGH

कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

जब तक उलझे ना काँटों में दामन (जब तक उलझे ना काँटों में दामन)
कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन (कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन)

यक-ब-यक सामने आना जाना
यक-ब-यक सामने आना जाना
यक-ब-यक सामने आना जाना
रुक ना जाए कहीं दिल की धड़कन
रुक ना जाए कहीं दिल की धड़कन
रुक ना जाए कहीं दिल की धड़कन
कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

गुल तो गुल, ख़ार तक चुन लिए हैं
गुल तो गुल, ख़ार तक चुन लिए हैं
गुल तो गुल, ख़ार तक चुन लिए हैं
फिर भी ख़ाली है गुलचीं का दामन
फिर भी ख़ाली है गुलचीं का दामन
फिर भी ख़ाली है गुलचीं का दामन
कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

कितनी आराइश-ए-आशियाना
कितनी आराइश-ए-आशियाना
कितनी आराइश-ए-आशियाना
टूट जाए ना शाख-ए-नशेमन
टूट जाए ना शाख-ए-नशेमन
टूट जाए ना शाख-ए-नशेमन
कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

अज़मत-ए-आशियाना बढ़ा दीं
अज़मत-ए-आशियाना बढ़ा दीं
अज़मत-ए-आशियाना बढ़ा दीं
बर्क़ को दोस्त समझूँ के दुश्मन
बर्क़ को दोस्त समझूँ के दुश्मन
बर्क़ को दोस्त समझूँ के दुश्मन

कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन (कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन)
कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन (कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन)
जब तक उलझे ना काँटों में दामन (जब तक उलझे ना काँटों में दामन)
कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन (कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन)
कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन (कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन)

Curiosità sulla canzone Koi Samjhega Kya Raz - E - Gulshan di Jagjit Singh

Chi ha composto la canzone “Koi Samjhega Kya Raz - E - Gulshan” di di Jagjit Singh?
La canzone “Koi Samjhega Kya Raz - E - Gulshan” di di Jagjit Singh è stata composta da FANA NIZAMI, JAGJIT SINGH.

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