Hazaaron Khwaahishein Aisi

Ghalib Mirza (Traditional), Jagjit Singh

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी, के हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले

मुहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
मुहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते हैं, जिस काफ़िर पे दम निकले
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी के हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले

ख़ुदा के वास्ते पर्दा न काबे इसे उठा ज़ालिम
ख़ुदा के वास्ते पर्दा न काबे इसे उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा ना हो याँ भी वही काफ़िर सनम निकले

कहाँ मयखाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़
कहाँ मयखाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी के हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले
ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म

Curiosità sulla canzone Hazaaron Khwaahishein Aisi di Jagjit Singh

Chi ha composto la canzone “Hazaaron Khwaahishein Aisi” di di Jagjit Singh?
La canzone “Hazaaron Khwaahishein Aisi” di di Jagjit Singh è stata composta da Ghalib Mirza (Traditional), Jagjit Singh.

Canzoni più popolari di Jagjit Singh

Altri artisti di World music