Bas Ke Dusavar Hain Har Kaam Ka Aasaan Hona

JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB

बस के दुश्मन है हर काम का आसन होना
आदमी को भी मयसर नहीं इंसान होना
आदमी को भी मयसर
घर हमारा जो न रोते भी तो विरान होता
पहाड़ अगर पहाड़ न होता तो भी आबाद होता
पहाड़ अगर पहाड़ न होता तो भी
हसरते कतल रहे दरिया में फना हो जाना
दर्द का था से गुज़रना दावा हो जाना
दर्द का था से गुज़रना दावा हो जाना
दर्द उनसे कैसे दावा नहीं हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ
इतने मरियम हुआ करे कोई
इतने मरियम हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
बक रहा हु जूनुन में क्या क्या कुछ
बक रहा हु जूनुन में क्या क्या कुछ
कुछ ना समझे खुदा करे कोई
कुछ ना समझे खुदा करे कोई
कुछ ना समझे खुदा करे कोई

Curiosità sulla canzone Bas Ke Dusavar Hain Har Kaam Ka Aasaan Hona di Jagjit Singh

Chi ha composto la canzone “Bas Ke Dusavar Hain Har Kaam Ka Aasaan Hona” di di Jagjit Singh?
La canzone “Bas Ke Dusavar Hain Har Kaam Ka Aasaan Hona” di di Jagjit Singh è stata composta da JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB.

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