Udas Sham Kisi Khwab Mein

GHULAM ALI, QATEEL SHIFAI

उदास शाम
उदास शाम किसी कब
में ढली तो हैं
उदास शाम किसी कब
में ढली तो हैं
यही बहुत है के
ताज़ा हवा चली तो हैं
उदास शाम किसी कब
में ढली तो हैं

जो अपनी शक से बाहर
अभी नही आई
जो अपनी शक से बाहर
अभी नही आई
नयी बाहर की ज़मीन
वही काली तो हैं
उदास शाम किसी कब
में ढली तो हैं

धुवन तो जूत
नही बोलता कभी यारो
धुवन तो जूत
नही बोलता कभी यारो
हमारे शहर में
बस्ती कोई जाली तो हैं
उदास शाम किसी कब
में ढली तो हैं

किसी के इश्क़ में
हम जान से गये लेकिन
किसी के इश्क़ में
हम जान से गये लेकिन
हमारे नाम से रस्मे
वफ़ा चली तो हैं
उदास शाम किसी
कब में ढली तो हैं

हज़ार बंद हूँ
दायरो हराम के दरवाजे
हज़ार बंद हूँ
दायरो हराम के दरवाजे
मेरे लिए मेरे महबूब
की गली तो हैं
उदास शाम किसी कब
में ढली तो हैं
उदास शाम किसी कब
में ढली तो हैं
यही बहुत है के
ताज़ा हवा चली तो हैं
उदास शाम किसी कब
में ढली तो हैं

Curiosità sulla canzone Udas Sham Kisi Khwab Mein di Ghulam Ali

Chi ha composto la canzone “Udas Sham Kisi Khwab Mein” di di Ghulam Ali?
La canzone “Udas Sham Kisi Khwab Mein” di di Ghulam Ali è stata composta da GHULAM ALI, QATEEL SHIFAI.

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