Thi Wasi Mein Fikr - E - Judai
थी वेस्ल में भी
फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
थी वेस्ल में भी
फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
वो आए भी तो
निद ना आई तमाम शब
थी वेस्ल में भी
फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
यक बार देखते ही
मुझे गश जो आ गया
यक बार देखते ही
यक बार देखते ही
मुझे गश जो आ गया
भूले थे वो भी
होश-रुबाई तमाम शब
थी वेस्ल में भी
फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
मार जाते क्यूँ ना
सुबहो के होते ही हिजर में
हिजर में हिजर में
मार जाते क्यूँ ना
सुबहो के होते ही हिजर में
तकलीफ़ कैसी कैसी
उठाई तमाम शब
तकलीफ़ कैसी कैसी
उठाई तमाम शब
गर्म-ए-जवाब-ए
शिकवा-ए-जौर-ए-उड़ू रहा
गर्म-ए-जवाब-ए-
शिकवा-ए-जौर-ए-उड़ू रहा
उस शोला-बू ने जान
जलाई तमाम शब
उस शोला-बू ने जान
जलाई तमाम शब
मोमिन मैं अपने नालो
के सदाक़े के कहते है
मोमिन मैं अपने नालो
के सदाक़े के कहते है
उनको भी आज निद ना
आई तमाम शब
उनको भी आज निद ना
आई तमाम शब
थी वेस्ल में भी फ़िक्र-
ए-जुदाई तमाम शब
वो आए भी तो
निद ना आई तमाम शब