Dil Apna Maikashi Ka Talabgar Bhi Nahin

Sant Darshan Singh Ji Maharaj, Allauddin Khan

दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
हा वो अगर पीलाए तो इनकार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही

अहड़े वफ़ा की सुबहो का क्या ज़िक्र दोस्तो
अहड़े वफ़ा की सुबहो का क्या ज़िक्र दोस्तो
अहड़े वफ़ा की सुबहो के आसार भी नही
अहड़े वफ़ा की सुबहो के आसार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही

सुना पड़ा है देर से मैखनाए वफ़ा
सुना पड़ा है देर से मैखनाए वफ़ा
सकी का ज़िकर्र क्या कोई मायकर भी नही
सकी का ज़िकर्र क्या कोई मायकर भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही

गुलशन उजाड़ हो गया दुनिया बदल गयी
गुलशन उजाड़ हो गया दुनिया बदल गयी
क्या ढूंढते हो गुल के यहा कर भी नही
क्या ढूंढते हो गुल के यहा कर भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही

दर्शन न पूछो जलमते दुनिआ ए आशकी
दर्शन न पूछो जलमते दुनिआ ए आशकी
कोई चिराग अब तो सरेदार भी नहीं
कोई चिराग अब तो सरेदार भी नहीं
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
हा वो अगर पीलाए तो इनकार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही
दिल अपना मैकशी का तलबगार भी नही

Curiosità sulla canzone Dil Apna Maikashi Ka Talabgar Bhi Nahin di Ghulam Ali

Chi ha composto la canzone “Dil Apna Maikashi Ka Talabgar Bhi Nahin” di di Ghulam Ali?
La canzone “Dil Apna Maikashi Ka Talabgar Bhi Nahin” di di Ghulam Ali è stata composta da Sant Darshan Singh Ji Maharaj, Allauddin Khan.

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