Majhdhar Mein Kashti
Azmi Kaifi, S D Burman
मझधार में कश्ती डूब गई
कुछ ऐसा नसीबा फूट गया
जब हाथ बढ़े दामन की तरफ
दामन भी तुम्हारा रूठ गया
काहे अब रे बलम
धीरे धीरे तेरा
गम ढाये दिल पे सितम
काहे अब रे बलम
काहे अब रे बलम
धीरे धीरे तेरा
गम ढाये दिल पे सितम
काहे अब रे बलम
तू लाख सता तू लाख रुला
उलफत को मिटाना मुश्किल है
कदमों पे तेरे जो डाल दिया
उस दिल को उठाना मुश्किल है
कैसे बाज़ायन हम
धीरे धीरे तेरा
गम ढाये दिल पे सितम
कैसे बाजाए हम
काहे अब रे बलम
धीरे धीरे तेरा
गम ढाये दिल पे सितम
काहे अब रे बलम