Mitti
जिस में हेर बार फैल हो गया
तुम ऐसा इंतेहाँ हो
हम तू रब के सगे ना निकले
तुम तू फिर इंसान हो
तुम तू फिर इंसान हो
दुनिया डारी मे ऐसा फस गया तू
तूने चोर दिए अपना ओर
रब से भी डोर है
उसका घर मैं तेरी नाइकी दहकी जया गी
ना देखा जाए गा कितना माशूर हा
दोसरो को कहेता था रब याद रखो
तेरी खुद की कहा चली गयी इबादत है
तेरी बातों पे तू खुद नि चलता
ओर दोसरों को ज्ञान बाँटने की तुझे आदत है
बेवाज़ा अपनो से बात बात पे लार्टा है
खुद भी दुखी ओर उनको भी केरता है
किसी के भी तुझे आँसू नयी दिखते
अपने दिखते हैं ओर दिखें पैसे
अपनू से झूट तू बोलता है रोज़
उस रब से सच छुपाए गा तू कैसे
मिट्टी में मिलके जब उसके तू घर जाएगा
माँगा गा तुझ से वो हिसाब
इतने गुनाह लेके कहाँ जाए गा बंदेया
क्या देगा उसको तू जवाब
मिट्टी में मिलके जब उसके तू घर जाएगा
माँगा गा तुझ से वो हिसाब
इतने गुनाह लेके कहाँ जाए गा बंदेया
क्या देगा उसको तू जवाब
तेरा घाम मे रोया जैसे तेरे अपना
मातम में भी ऐसे रोते नही हैं
तूने प्यार के बदला में दर्द ही दिया है
तुझे प्यार करने वेल लोग सोते नही हैं
अपना बना कर दिल से उसको अजनाबीयों की तारेह
बीच रास्ते में छोरा है
लानत हज़ार तुझे तेरे किरदार पे
एक पाक इंसान तूने अंदर तक तोड़ा है
तू ने जीते जी मार डाली अपनी महबोबा
ओर इस बात से अंजान भी नही है
लोग तुझे कुधा बना के बैठे हैं
ओर तू असल में इंसान भी नही हैं
उसकी तरह तुझको यादें क्यू नि खाती
तू कैसे जी रहा है तुझे मोट क्यू नि आती
कितनउ को स्टया कितने थे मजबूर
कौन था ग़लत कौन था बेकसूर
कर्मों की मार से कैसे बचे गा
तेरा किया तुझे एक दिन मिले गा ज़रूर
मिट्टी में मिलके जब उसके तू घर जाएगा
माँगा गा तुझ से वो हिसाब
इतने गुनाह लेके कहाँ जाए गा बंदेया
क्या देगा उसको तू जवाब जे
मिट्टी में मिलके जब उसके तू घर जाएगा
माँगा गा तुझ से वो हिसाब
इतने गुनाह लेके कहाँ जाए गा बंदेया
क्या देगा उसको तू जवाब जे