Raat Kitni

Javed Akhtar

रात कितनी दास्ताने कह रही है
इक नदी यादों की है जो बह रही है

रात कितनी दास्ताने कह रही है
इक नदी यादों की है जो बह रही है
मिलने आए हैं हम से
बीते हुवे लम्हें कल के
कितने पहचाने चेहरे
तन्हाई में हैं छलके
यूँ तो कोई है कहाँ कोई कहाँ
यादें लेके आई है सबको यहाँ
रात कितनी दास्ताने कह रही है
इक नदी यादों की है जो बह रही है

एक माथे पर दमकती एक बिंदी
एक आँचल जाने क्यूँ लहरा रहा है
घर के दरवाज़े पे सुंदर सी रंगोली
फिर कोई त्योहार मिलने आ रहा है
नन्हे नन्हे पाओं से चलता है कोई
उंगलियों से जप रहा है कोई माला
एक ताली इक कलाई एक राखी
एक मंदिर एक दीपक इक उजाला
रात कितनी दास्ताने कह रही है
इक नदी यादों की है जो बह रही है

दोस्ती का हाथ है कंधे पे रखा
प्यार से दो आँखें छलकी जा रही हैं
धूप की है धज्जियाँ बाघों में बिखरी
पेड़ों में छुपके हवायें गा रही हैं
लंबी साँसें लेते हैं सावन के झूले
घाट पर पाई प्यासी गगरिया हैं
नादिया किनारे है बंसी का लहेरा
एक पगडंडी पे खनकी चूड़ियाँ हैं

रात कितनी दास्ताने कह रही है
इक नदी यादों की है जो बह रही है
मिलने आए हैं हम से
बीते हुवे लम्हें कल के
कितने पहचाने चेहरे
तन्हाई में हैं छलके
यूँ तो कोई है कहाँ कोई कहाँ
यादें लेके आई है सबको यहाँ
रात कितनी दास्ताने कह रही है
इक नदी यादों की है जो बह रही है

Curiosità sulla canzone Raat Kitni di Sonu Nigam

Chi ha composto la canzone “Raat Kitni” di di Sonu Nigam?
La canzone “Raat Kitni” di di Sonu Nigam è stata composta da Javed Akhtar.

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