Naraaz Piya
Rashmi Virag
तेरे इश्क में क्या ना किया
तेरे इश्क में क्या ना किया
रहा तो नाराज़ मगर पिया
रहा तो नाराज़ पिया
जाने कौन सी बात बुरी
लगी जो ना बताई मुझे
सोचूँ मैं हर रोज यही पिया
रहा क्यूँ नाराज़ पिया
सोचूँ मैं हर रोज यही पिया
रहा क्यूँ नाराज़ पिया
पेहेले मेरा दिल बिछता था
आते थे फिर कदम तेरे
हो पेहेले मेरा दिल बिछता था
आते थे फिर कदम तेरे
जिस दिन टुटा दो टुकड़ो में
सारे टूटे भरम मेरे
मुझे मार के छोड़ दिया
कोई करता है ऐसा भी क्या
जा मैंने तुझे माफ किया पिया
जा मैंने तुझे माफ किया
जा मैंने तुझे माफ किया पिया
जा मैंने तुझे माफ किया
जाने कौन सी बात बुरी
लगी जो ना बताई मुझे
सोचूँ मैं हर रोज यही पिया
रहा क्यूँ नाराज़ पिया
सोचूँ मैं हर रोज यही पिया
रहा क्यूँ नाराज़ पिया