Hua Main
Manoj Muntashir
छुआ तूने
बेह गया में
हीरिये
जो अब तक किसी ने कभी ना किया
इश्क ऐसा
इश्क ऐसा
चाहिए
ऐसी दिवानगी से मैं चाहूँ तुझे
जैसे पहली दफा कोई पागल हुआ हुआ मैं
हुआ मैं
हुआ मैं
दुआ से मै उठा जो तेरा
हुआ मैं
हुआ मैं
रांझणा
हुआ मैं
देखा नही तूने अभी जादू हुआ क्या
दोनो जहाँ जहाँ जहाँ गये ठहर
तेरे बदन की रोशनी मेरे बदन में
अभी अभी अभी अभी गयी उतर
कोई दूरी नही बाकी पिया रे
बेख़बर होके बाहों में सोजा मेरी
तू हवा और मैं तेरा बादल हुआ
हवा मैं हवा मैं मैं उड़ा
दुआ से मैं उठा जो तेरा हुआ मैं
हुआ मैं, रांझणा
हुआ मैं, हुआ मैं