SHIV STUTI
शंभु, शिव शंभु , शिव शंभु …
मेरे मन में बसे शिव शंभु …
डमरू के तरंग का
जटा से निकली गंग का
मस्त मलंग का
ध्यान हम धरे
त्रिनेत्र स्वामी
महा अविनाशी
पाप विनाशी का
ध्यान हम धरे
जय जय जय जय
जय भोले शंभु
जय जय जय जय
शंभु भोले
अभ्यंकारी
महा शक्तिशाली
त्रिलोक स्वामी
का ध्यान हम धरे
रौद्ररूपा भस्मधारी
त्रिशूल धारी का ध्यान हम धरे
जय जय जय जय
जय भोले शंभु
जय जय जय
शंभु भोले
कष्टनाशी मेरे कष्ट हरना
कृपा मुझपे करना
सौम्यरूपा मुझे शक्ति देना
अवगुण मेरे हरना
देवआदिदेव महादेव स्वामी
त्रिपुरांतकारी का ध्यान हम धरे
उमा पति, कैलाश के वासी
सर्वव्यापी का ध्यान हम धरे
जय जय जय जय
जय भोले शंभु
जय जय जय
शंभु भोले
नीलकंठा, महादेव महेश्वर
अदियोगी का ध्यान हम धरे
अक्षयगुणा भूतेश्वर बैरागी
गिरिजापति का ध्यान हम धरे
काल के काल
महाकाल देव का
रौद्र विकराल का
ध्यान हम धरे
जय जय जय जय
जय भोले शंभु
जय जय जय जय
शंभु भोले
महादेव के क्रोध का
ज्ञान के बोध का
महा अघोड़ का
ध्यान हम धरे
तांडव की लय का
शिव में प्रलय का
सती के विनय का
ध्यान हम धरे
शरण तिहारी हम भोलबाबा
कर जोड़ खड़े और
ध्यान हम धरे
डमरू के तरंग का
जटा से निकली गंग का
मस्त मलंग का
ध्यान हम धरे
त्रिनेत्र स्वामी
महा अविनाशी
पाप विनाशी का
ध्यान हम धरे
जय जय जय जय
जय भोले शंभु
जय जय जय जय
शंभु भोले
जय जय जय जय
शंभु भोले
जय जय जय जय
शंभु भोले