Khumaar

Vaibhav Modi, Papon

सलवटों पे लिखी
करवटे एक हज़ार
धीमी आँच पे जैसे
घुलता रहे मल्हार
मूंदी आँखों में महका सा
बीती रात का यह खुमार
मूंदी आँखों में महका
डू रु रु रु

धीमी आँच पे जैसे
मूंदी आँखों में महका
बीती रात का खुमार

कैसे काटू बैरी दोपहरी
आवे ना क्यूँ रैना
कैसे मैं
काटू रे
दोपहरी… बैरी
कैसे मैं काटू रे
मोसे ना बोले रे
हरजाई
पल चीन जिन गिन
हारून मैं
हसरातों ने किया
रुखसतों से क़रार
थामे आँचल तेरा
करती है इंतेज़ार

कैसे काटू बैरी दोपहरी
आवे ना क्यूँ रैना
कैसे मैं
काटू रे
दोपहरी… बैरी
कैसे मैं काटू रे
मोसे ना बोले रे
हरजाई
पल चीन जिन गिन
हारून मैं
मुद्दतो सा चले
हर इक लम्हा
आहटों ने किया है
जीना भी दुश्वार
मूंदी आँखों में महका सा
बीती रात का यह खुमार

मूंदी आँखों में महका सा

Curiosità sulla canzone Khumaar di Papon

Chi ha composto la canzone “Khumaar” di di Papon?
La canzone “Khumaar” di di Papon è stata composta da Vaibhav Modi, Papon.

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