Kahani Koyi
Gulzar
रोज़ होती है कहानी कोई
कोई मतलब है
ना मनाई कोई
रोज़ होती है कहानी कोई
कोई मतलब है
ना मनाई कोई
बारीशों कई दिन है
पता पता बरसता है
प्यास भहुजती ही नही
दिल अभी तरसता है
फिर भी कहता
नही ज़बानी कोई
रोज़ होती है कहानी कोई
कल भी वादी में
आए थाई बादल
कल भी पॅल्को सई
टपका था काजल
भर गया आंकों
में पानी कोई
रोज़ होती है कहानी कोई
नींद आई नही कल
रात गबराहट
आसमान जाग गया
चाँद की आहत थी
रोज़ कह जाता है
कोई पेगां है
तो बता ऊस्की
निशानी कोई
रोज़ होती है कहानी कोई
कोई मतलब है ना
मनाई कोई
बारीशों कई दिन है
पता पता बरसता है
प्यास भहुजती ही नही
दिल अभी तरसता है
फिर भी कहता नही
ज़बानी कोई
रोज़ होती है कहानी कोई