बेतहाशा [Reprise]

Abhendra Kumar Upadhyay

आजा तुझपे मैं रख दू चाँद को
इस तरह पा लूं तेरे आसमान को
बादलों सा मैं बन के हर जगह तुझसे ही मिल के
बेतहाशा बेतहाशा तुझको ही चाहूं मैं हआइई
बेतहाशा बेतहाशा तुझको ही चाहूं मैं
पहले से तोड़ा ज़्यादा तुझको ही चाहूं मैं

तुम हँसो तो जाने मुझको क्यूँ ख़ुसी मिलती है
हो तुम हँसो तो जाने मुझको क्यूँ ख़ुसी मिलती है
तुम जो रूठो यारा मेरी आँखे भी रोती है
तुझसे ही तो मैं चल के रुक गया तेरी हादो पे
बेतहाशा बेतहाशा तुझको ही चाहूं मैं हआइई
बेतहाशा बेतहाशा तुझको ही चाहूं मैं
पहले से तोड़ा ज़्यादा तुझको ही चाहूं मैं हआइई

तुम सुबह के सारे सपने जो भी सच होते है
हा तुम सुबह के सारे सपने जो भी सच होते है
तुम को ही रख के सिरने रात बार सोते है
धूप सा कभी बनकर आ मिलूं मेरे सुबह से
बेतहाशा बेतहाशा तुझको ही चाहूं मैं हआइई
बेतहाशा बेतहाशा तुझको ही चाहूं मैं
पहले से तोड़ा ज़्यादा तुझको ही चाहूं मैं हआइई

Curiosità sulla canzone बेतहाशा [Reprise] di Palak Muchhal

Chi ha composto la canzone “बेतहाशा [Reprise]” di di Palak Muchhal?
La canzone “बेतहाशा [Reprise]” di di Palak Muchhal è stata composta da Abhendra Kumar Upadhyay.

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