Kash Main Koi Panchhi Hota
काश मैं कोई पंछी होता या होता बंजारा
बस्ती बस्ती परबत परबत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता या होता बंजारा
बस्ती बस्ती परबत परबत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता या होता बंजारा
बस्ती बस्ती परबत परबत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता हो हो हो
मस्त हवा का झूला झूलूं
उड़ के नील गगन को छू लूं
ओ मस्त हवा का झूला झूलूं
उड़ के नील गगन को छू लूं
मैं हूँ इस धरती का भेदी
इस सच को मैं कैसी भूलूं
काश मैं कोई बादल होता या आकाश का तारा
बस्ती बस्ती परबत परबत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता हो हो हो
बरसो से बेचैन पड़ा हूँ रास्ते में पत्थर सा पड़ा हूँ
बरसो से बेचैन पड़ा हूँ रास्ते में पत्थर सा पड़ा हूँ
याद नहीं मैं जाने कब से एक जगह पर यहीं खड़ा हूँ
काश मैं कोई माझि होता या नदिया का धारा
बस्ती बस्ती परबत परबत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता हो हो हो
नयी नयी ये रूत मस्तानी दर्पण जैसा साँस यह पानी
नयी नयी ये रूत मस्तानी दर्पण जैसा साँस यह पानी
तेरे बिन मेरी वही पुरानी यह सूरत जानी पहेचनी
काश में कोई दूजा होता लेता जनम दुबारा
बस्ती बस्ती परबत परबत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता या होता बंजारा
बस्ती बस्ती परबत परबत फिरता मैं आवारा
काश मैं कोई पंछी होता हो हो हो.