Subah Ke Dhoop Si
सुबह की धूप सी शाम के रूप सी मेरी साँसों में थी
जिसकी परछाईया देख कर तुमको लगता है तुम हो वहीं
सोचती थी जिसे मेरी तन्हाईया
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
हाँ इंतजार
धूप में छाँव सी शहर में गाँव सी मेरी राहों में थी
जिसकी परछाईया देख कर तुमको लगता है तुम हो वहीं
सोचती थी जिसे मेरी तन्हाईयाँ
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
हाँ इंतजार
हो.. जब तुम गम थी
तब भी तुम थी
जितना मै था उतनी तुम थी
हो…. दूर थे जब तुम पास थे ऐसे
नींद से झांके सपना जैसे
कोई जाना अपना जैसे हहह
सुबह की धूप सी शाम के रूप सी
मेरी राहों में थी जिसकी परछाईया
देख कर तुमको लगता है तुम हो वहीं
सोचती थी जिसे मेरी तन्हाईया
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार है इंतजार
पंछी जगे मंजर डोले
घर के छुप छुप हाँ कोने बोले
लेकर तुमसे रूप सुनहरा
धुला अँधेरा सजा सवेरा
हर दर्पण में हो एक ही चेहरा
धूप में छाँव सी शहर में गाव सी
मेरी राहों में थी जिसकी परछाईया
देख कर तुमको लगता है तुम हो वहीं
सोचती थी जिसे मेरी तन्हाईया
था तुम्हारा ही मुझे इंतजार
था तुम्हारा ही मुझे
इंतजार है इंतजार
सुबह की धूप सी शाम के रूप सी
मेरी साँसों में थीजिसकी परछाईया
सुबह की धूप सी शाम के रूप सी
मेरी साँसों में थी जिसकी परछाईया