Man Hai Bhiga
AKSHAY HARIHARAN, SAHIL SULTANPURI
क्यू खुद से इन्सा भी डरता ही फिरता है
क्यू जीते जी पल पल रोजाना ही मरता है
कैसी है तेरी माया
मन मे तेरे क्या आया, बता
मन है भीगा आँखे गीली
बरसना बाकी है
जली हुई है ज़िंदगी
राख अभी बाकी है
थमी साँसे है
भूखी बेबसी बाकी है
थमी साँसे है
भूखी बेबसी बाकी है