Meri Bheegi Bheegi Si
MAJROOH SULTANPURI, RAVI PAWAR
तुझ बिन जाने, बिन पहचाने
मैंने ह्रदय से लगाया
तुझ बिन जाने, बिन पहचाने
मैंने ह्रदय से लगाया
पर मेरे प्यार के बदले में तूने
मुझको ये दिन दिखलाया
जैसे बिरहा की रुत मैंने काटी
तड़प के आहें भर-भर के
जले मन तेरा भी किसी के मिलान को
अनामिका तू भी तरसे
मेरी भीगी भीगी सी
आग से नाता, नारी से रिश्ता
काहे मन समझ न पाया
आग से नाता, नारी से रिश्ता
काहे मन समझ न पाया
मुझे क्या हुआ था एक बेवफा पे
हाय मुझे क्यों प्यार आया
तेरी बेवाफाही पे हंसे जग सारा
गली-गली गुज़रे जिधर से
जले मन तेरा भी किसी के मिलान को
अनामिका तू भी तरसे
मेरी भीगी भीगी सी