Rooth Kar Hamse
Jatin-Lalit, Majrooh Sultanpuri
मैं तो न चला था दो
दो कदम भी तुम बिन
फिर भी मेरा बचपन
येही समझा हर दिन
छोड़ के मुझे भला
अब कहाँ जाओगे तुम
छोड़ के मुझे भला
अब कहाँ जाओगे तुम
ये न सोचा था कभी
इतना याद आओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं
जब चले जाओगे तुम
रूठ के हमसे कहीं
देखो मेरे आंसू
यही करते हैं पुकार
ओ आओ चले आओ
मेरे भाई मेरे यार
पोछने आंसू मेरे
क्या नहीं आओगे तुम
पोछने आंसू मेरे
क्या नहीं आओगे तुम
ये न सोचा था कभी
इतना याद आओगे तुम
रूठ के हमसे कभी
जब चले जाओ