Chanchal Mann
Utsavi Vipul Jha
यूँ ठहरे रहो
सोचो ना कैसा लगे
यूँ ठहरे रहो
सोचो ना कैसा लगे
बात पते की जो (पते की जो)
कह गयी तुमको
शरमाओ ना
भागे मन पीछे भागु मैं आगे तुम
साँस भरलूँ या होश करलू घूम
आम बातों से ही होता प्यार
आम बातों से ही मिलता करार
यह चंचल मन खो गया
यह चंचल मन खो गया
उउ ना ना ना उउ ना ना उउउ
देखो ना मेरा आसमान नारंगी, पानी हरा
छेड़ो ना झूठी तारीफें आईना करने लगा
बादलों के सहारे उड़ने लगी
ख्वाबों के मकान में रह गयी
आम बातों से ही होता प्यार
आम बातों से ही मिलता करार
यह चंचल मन खो गया
यह चंचल मन खो गया
यूँ ठहरे रहो