Lehrein
Kaushal Kishore, Shay
छोड़े घर शहेर सारी दुनिया
खुद मे ही तो मिलनी है खुशियाँ
फिकर हया है क्या, भूलें है
हम तो हवाओं की बाहों मे झूले है
धीरे धीरे धीरे हम बदले
रुके रुके रुके क्यूँ संभले
चले वहाँ जहाँ ले जाए लहरें
धीरे धीरे धीरे हम बदले
रुके रुके रुके क्यूँ संभले
चले वहाँ जहाँ ले जाए लहरें
खिल गयी है हसी खुल गयी है हर दिशा
अजनबी लोगों से राब्ता है क्या पता
घुले घुले घुले सब मुझमे
मिले मिले मिले सब मुझमे
हुए हुए हुए हैं हम बेफ़िक्रे
धीरे धीरे धीरे हम बदले
रुके रुके रुके क्यूँ ठहरे
चले वहाँ जहाँ ले जाए लहरें