Ghul Raha Hai Sara Manzar

Shankar Mahadevan, Akhtar Javed

गुल रहा है सारा मंज़र
शाम दुँधली हो गई
गुल रहा है सारा मंज़र
शाम दुँधली हो गई
चांदनी के चादर ओढ़ी
हर बहारे सो गई
गुल रहा है सारा मंज़र
शाम दुँधली हो गई
चांदनी के चादर ओढ़ी
हर बहारे सो गई
घुल रहा है सारा मंज़र

वादियों में पेड़ है अब
अपनी ही परछायी या
वादियों में पेड़ है अब
अपनी ही परछायी या
उठ रहा है कोहरा जैसा
चांदनी का वो धूआं
छताने से चांद पिघला
भी मुलायम हो गई
रात की सांस जो महकी
और मधधाम हो गई
गुल रहा है सारा मंज़र
सारा मंज़र सारा मंज़र

नारम है जितनी हवा
उतनी फ़िज़ा खामोश है
नारम है जितनी हवा
उतनी फ़िज़ा खामोश है
देहनियो पर औझ पाइके
हर काली बेहोश है
होंंध पर करवाट लिया
अब बढ़ते हैं रास्ते
दूर कोई गा रहा है
जाने किस्की वेस्ट
गुल रहा है सारा मंज़र
शाम दुँधली हो गई
चांदनी के चादर ओढ़ी
हर बहारे सो गई
गुल रहा है सारा मंज़र
सारा मंज़र सारा मंज़र

Curiosità sulla canzone Ghul Raha Hai Sara Manzar di Shankar Mahadevan

Quando è stata rilasciata la canzone “Ghul Raha Hai Sara Manzar” di Shankar Mahadevan?
La canzone Ghul Raha Hai Sara Manzar è stata rilasciata nel 2003, nell’album “Breathless”.
Chi ha composto la canzone “Ghul Raha Hai Sara Manzar” di di Shankar Mahadevan?
La canzone “Ghul Raha Hai Sara Manzar” di di Shankar Mahadevan è stata composta da Shankar Mahadevan, Akhtar Javed.

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