Qayda Qayda

Gulzar, R D Burman

कायदा कायदा कायदा हर चीज मैं कायदा
आखिर फायदा कायदा तोड़ के सोचो एक दिन
चाँद निकलता निचे से और मैदान पे रखा होता

कायदा तोड़ के सोचो एक दिन
अरे क़ायदा तोड़ के सोचो एक दिन
चाँद निकलता निचे से मैदान में रखा होता
मीठी होती मिट्टी उसकी मीठे घास और पत्ते
अरे सोचो चाँद पे दूध के गेहरी दरिया बेहते
गोरे गोरे उस में भालू चीते रेहते
ऊँचे ऊँचे टीले होते कुल्फी के

और घास फालुदा होती दीदी तो क्या मजा आता

और हाथ में चम्मच लेकर जाते
रात दिन बस चाँद ही खाते
चाहे होता ज्यादा
क़ायदा क़ायदा आखिर फायदा
अरे क़ायदा क़ायदा आखिर फायदा

अच्छा सोचो सूरज का रंग नीला होता
होता
ओर पेड़ो का रंग लाल
लाल
पंछी रेहते पानी में
वाह
और मच्छी गगन विशाल
वाह वाह वाह

सूरज का रंग नीला होता
पेड़ो का रंग लाल
पंछी रेहते पानी में
और मच्छी गगन विशाल

दाता तुमने किया कमाल
दाता तुमने किया कमाल
ऊपर गगन विशाल

अच्छा सोचो नहीं नहीं सोच के देखो
खेत में उगती toffy
पेड पे फलते लड्डू पेड़े
और नल खोलो तो coffee

अच्छा सोचो सोच के देखो
खेत में उगती toffy
पेड पे फलते लड्डू पेड़े
और नल खोलो तो coffee

दीदी ऐसा क्यों नहीं होता हे
जो होता है वो क्यूँ होता हे

कारन फिर वही कायदा

कायदा कायदा आखिर फायदा
अरे कायदा कायदा आखिर फायदा(कायदा कायदा आखिर फायदा)
आ हा

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