Tamaki Taaki Taki Shivadhanu Dharahin
K. J. Yesudas
तमकि ताकि तकि सिवधनु धरहीं
उठइ न कोटि भाँति बलु करहीं
जिन्ह के कछु बिचारु मन माहीं
चाप समीप महीप न जाहीं
तमकि धरहिं धनु मूढ़ नृप उठइ न चलहिं लजाइ
मनहुँ पाइ भट बाहुबलु अधिक अधिक गरुआइ
डगइ न संभु सरासनु कैसें
कामी बचन सती मनु जैसें